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Parallel Universe

Parallel Universe In Hindi.

What is Parallel Universe





दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है की जैसे हमारी इस Earth पर जीवन है क्या किसी और जगह या कोई और Universe में हमारी ही Earth की तरह कोई और पृथवी होगी तो चलिए है जानत्ते

दोस्तों जैसा की हम सभी सदियों से यह मानते आये हैं कि जीवन सिर्फ Earth पर ही संभव है ।मगर पिछले कुछ सालो में Science इतनी developed हो गयी है जिसने हमारी इस धारणा को बदल कर रख दिया है।

जो सिद्धांत में आपके सामने पेश करने जा रहा हूं उन्हें समझने में आपको थोड़ी दिक्कत हो सकती है इसीलिए आप इस पोस्ट को पूरी एकाग्रता से पढ़ें, पूरा पोस्ट पढ़ने के बाद ही आपको समझ में आएगा कि आखिर यह समानांतर ब्रह्मांड क्या है।

आज Scientist मानते हैं कि अनंत फैले हुए इस Universe में कई ऐसे ग्रह हो सकते हैं जहा जीवन संभव हो लेकिन हमें उन ग्रहों के बारे में पता नहीं है।

इसीलिए Scientist  पृथ्वी जैसे दूसरे ग्रह को ढूँढने के निरंतर प्रयास में लगे हुए हैं। पर क्या होगा अगर हम कहे कि इस ब्रमांड मे पृथ्वी जैसे नहीं बल्कि Same to same पृथ्वी के ही प्रतिरूप है। जिसमें हमरी धरती के जैसा ही जल, थल, नभ,बादल, Animals, machine,इंसान और आपका ही प्रतिरूप (copy) आदि मौजूद है। आपको यकीन नहीं होगा मगर Parallel Universeड   की Theory यही है ।

ज्यादातर वैज्ञानिक समानांतर ब्रह्माण्ड के बात को नकारते हैं। लेकिन कई हैं जो इस सिद्धांत को मानते हैं एवं इसपर शोध कर रहे हैं।

अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि यहाँ कई पृथ्वी जैसे ग्रह मिले हैं। कई खगोल वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि इन ग्रहों पर जीवन है या नहीं या फिर जीवन होने की कितनी सम्भावना है।

ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अंतरिक्ष में अनगिनत ब्रह्माण्ड हैं जहाँ अंगिनतों तारे, सौर मंडल, ग्रह आदि मौजूद हैं।

उसी के हिसाब से यह अनुमान लगाया गया कि जैसे पृथ्वी पर हालात हैं और घटनाएं घटित होती हैं, उसी प्रकार सामानांतर ब्रह्माण्ड में किसी अन्य ग्रह पर इसी प्रकार की घटना हो रही होगी।

हम जिस ब्रह्माण्ड को जानते हैं उसको हम Universe कहते हैं जिसमें Uni शब्द का मतलब होता है एक। हम ब्रह्माण्ड को उतना ही बड़ा मानते हैं जितनी दूरी से आये प्रकाश को हमने देखा है।

मगर क्या हमारा ब्रह्माण्ड सिर्फ इनता ही बड़ा है जितना हम देख पाए हैं ?

इसी सवाल ने जन्म दिया Multiverse theory को जिसके अनुसार हमारा ब्रह्माण्ड की केवल एक मात्र ब्रह्माण्ड नहीं है। बल्कि ऐसे कई समानांतर ब्रह्माण्ड हैं मगर ये समानांतर ब्रह्माण्ड आखिर है कहाँ ।इस सवाल का जवाब देने के लिए Scientist ने इसको 4 level में Divide किया है।

Parallel Universe Theory के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में मौजूद हर वस्तु हर जीव और हर स्थिति का प्रतिरूप किसी न किसी समानांतर ब्रह्माण्ड में मौजूद है।आपके जीवन की हर सम्भावना जो सच्चाई बन सकती थी किसी न किसी समानांतर ब्रह्माण्ड में घटित हो रही है।

अब जैसे अभी आप मेरी इस पोस्ट को पढ़ रहे है किसी दुसरे समानांतर ब्रह्माण्ड  में आप यह Post पड़ चुके हैं। और किसी और समानांतर ब्रह्माण्ड  ब्रह्माण्ड में आप इस Post के बारे में जानते ही नहीं या हो सकता है कि किसी समानांतर ब्रह्माण्ड में आप अभी भी जंगल में ही रह रहे हों, या फिर क्या पता आपका अभी तक जन्म ही न हुआ हो। यानी हर एक सम्भावना किसी  किसी समानांतर ब्रह्माण्ड  में घटित हो रही है। आपका निर्णय ही आपके  भविष्य का निर्धारण करता है। यानी कि आप जो decision लेते हैं। आपकी life उसी के अनुसार चलने लगती है।

तो अब आप यह सोच रहे होंगे कि Parallel Universe (समानान्तर ब्रह्माण्ड) सिर्फ एक कल्पना है या इसका कोई वैज्ञानिक प्रूफ भी है तो दोस्तों मैं  आपको बताना चाहूँगा कि अभी तक तो ऐसा कोई समानान्तर ब्रह्माण्ड को ढूंडा नहीं  गया और इंसान कभी ढून्ढ  भी नहीं सकता ।मगर कुछ  Scientific Reasons हैं। जिस से हमारे  Parallel Universe  होने की पूरी पूरी सम्भावना हो सकती   है। और है दोस्तों अभी हाल में ही NASA की 'ANITA की एक खोज में Parallel Universe के कुछ सबूत मिले उसके बारे में निचे पूरी details में है पहले हम Parallel Universe को इसको समझने के लिए खगोल शाश्त्री (Astrophysicist) ने इसको 4 level में बांटा है।

Level -1

हम अभी तक नहीं जानते कि Space Time का अकार क्या है एक theory के अनुसार यह Flat है और इसका फैलाव अनंत है। और अगर ऐसा है तो कई ब्रह्माण्ड होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता और इस बात की भी संभावना है कि हर ब्रह्माण्ड के कई प्रतिरूप मौजूद हों, जिसमे हमारी आकाशगंगा हमारा सूर्य हमारी पृथ्वी, यह हमारा प्रतिरूप भी मौजूद हो ओस ऐसा इसलिए होता  है। क्योंकी हर configuration कभी न कभी अपने आप को दोहराना शुरू कर ही देती है।

ऐसे ही हमारा ब्रह्माण्ड भी अनन्त है असीमित है। मगर इसकी भी पूरी सम्भावन है कि वह कही न कही खुद को repeat हो रहा हो लेकिन Level 1 के ब्रह्माण्ड से हमारा मिलन Impossible है। क्योंकि वह हमसे इतना दूर जो सकता है जहाँ से हम तक Light भी नहीं पहुँच पाती।

Level 2

समानांतर ब्रह्माण्ड की इस level 2 को जन्म दिया Eternal Inflation Theory ने , इस Theory के अनुसार सभी ब्रह्माण्ड एक बुलबुले के अन्दर हैं और ये आपस में जुड़कर या फिर अलग होकर एक नए ब्रह्माण्ड को जन्म देते हैं।  क्योंकि हर ब्रह्माण्ड अलग बुलबुले की कैद में है और सभी ब्रह्मांडो मे Physics Rules अलग अलग होते हैं और अगर ऐसा होता है। तो ऐसे में भी Parallel Universe (समानान्तर ब्रह्माण्ड) होने की पूरी सम्भावना है। मगर इस condition में भी हम अपने समानान्तर ब्रह्माण्ड से नहीं मिल सकते , क्योंकि सारे बुलबुले एक दुसरे से अरबो खरबों Light Years दूर हैं।

Level -3

इस थ्योरी को जन्म दिया quantum physics ने इस theory के अनुसार यह माना जाता है कि समानान्तर ब्रह्माण्ड हमारी ही दुनिया  में मौजूद है मगर हम उसको देख नहीं सकते क्योंकि वह दुसरे आयाम में  मौजूद है।

इस पर वैज्ञानिको ने कई experiment भी किये जिसमें यह साबित हुआ कि एक Electron एक ही वक़्त में कई स्थानों में मौजूद हो सकते हैं।
Heisenberg Uncertainty Principle Equation ने तो कई बार यह सिद्ध भी किया है।जब यह Electron इस तरह से व्यवहार कर सकते हैं।  तो हम भी तो उन्ही से मिलकर बने हैं। इसलिये हमारा एक बार में कई आयामों में मौजूद होना असंभव नहीं है।

level 3 की समानान्तर ब्रह्माण्ड की Theory से हम यह भी समझ सकते है कि Past Time में Time Travel करना क्यों असंभव नहीं है।

For example-

आप Time travel कर Past Time में चले जाते हैं और वहां जाकर खुद को ही मार देते है तो क्या आप जीवित बचेंगे। तो इसका Answer है Yes क्योंकि अपने भूतकाल (Past Time ) में जिसको मारा वह आप नहीं बल्कि आपका प्रतिरूप था ।उसकी मृत्यु उस सामानांतर ब्रह्माण्ड में हो जाएगी मगर इस से आपको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। क्योंकि आप तो दुसरे Parallel Universe में जी रहे हैं ।

Level -4

Parallel Universe का level 4 Mathematical Democracy Principle पर अधारित है। हम इसको उपर दिए गए तीनो levels की Combined Form भी कह सकते हैं इसके अनुसार अलग अलग ब्रह्मांडो में अलग गणित हो सकती है।  यह जरुरी नहीं की गणित के अस्तित्व के लिए मनुष्यों का होना जरुरी हो।

हमने अपने Physics की कई Theories से यह जाना की समानान्तर ब्रह्माण्ड होने की पूरी सम्भावना है मगर अभी तक हमारे पास इसका कोई भी ठोस सबूत नहीं है। मगर Scientist इसकी सच्चाई जानने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। ऐसे ही एक experiment का नाम है large hadron collider  इसमें Micro Particle की टक्कर करवाई गयी। और एक ऐसे Particle का  पता लगाया गया जो Gravity को Carry करता है इसको graviton नाम दिया गया।  ये Particle अचानक से Invisible  हो जाते  हैं और अचानक से Visible ।

Scientist का मानन है कि ये Graviton हमें दुसरे आयामों के बारे में बता सकते हैं मगर इनको produce करना और इनपर निगरानी रखना बहुत ही मुश्किल काम है ।



समानांतर ब्रह्माण्ड का सिद्धांत


हम सब यह बात जानते हैं कि 13.7 बिलियन साल पहले ब्रह्माण्ड का एक छोटे से बिंदु से शुरू हुआ था। बिग बैंग थ्योरी के अनुसार गुरुत्वाकर्षण कर दबाव के कारण यह बिंदु बढ़ता गया एवं तीन आयामी भाग में फैलता गया – जिस रूप में आज ब्रह्माण्ड विद्यमान है। फिर तारों, आकाशगंगाओं, ग्रहों आदि का निर्माण हुआ।

इसी के आधार पर यह प्रश्न उठता है कि क्या हम लोग अंतरिक्ष में अकेले हैं? हमारे पास आज कि जो तकनिकी है, उसके आधार पर यह सब खोज कर पाना बहुत मुश्किल है। कई खगोल वैज्ञानिक आज भी इस शोध में लगे हुए हैं कि किस प्रकार परजीवी ग्रह के प्राणियों से संपर्क साधा जाये।

वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि प्रकाश की तीव्र गति होने के कारण हम एक सीमा के अनुसार ही चीजें देख पाते हैं, अतः ज्यादातर चीजें हमारे दृश्य से परे है।


समानांतर ब्रह्माण्ड का इतिहास

जब 13.7 अरब साल पहले बिग बैंग घटना हुई थी, ठीक उसी समय से प्रकाश का प्रवाहन शुरू हुआ, अतः 13.7 अरब प्रकाश वर्ष के बाद क्या है – इसके बारे में कोई नहीं जानता। अंतरिक्ष के जिस भाग के बारे में कोई जानकारी नहीं है उसको Hubble Volume कहा गया है और इस भाग पर शोध चालू है।

ऐसा माना जाता है कि सारे ब्रह्माण्ड एक दूसरे से जुड़े हुए हैं तो कुछ टूट कर नए ब्रह्माण्ड बन गए या फिर कभी दो ब्रह्माण्ड के टकराव से एक नया ब्रह्माण्ड बन गया। इसी आधार पर हो सकता है कि कहीं दूसरे ब्रह्माण्ड में किसी दूसरे ग्रह पर पृथ्वी के सामान घटना घट रही हो।

दिवंगत भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने सामानांतर ब्रह्माण्ड के बात को स्वीकारा था। मृत्यु से पहले जो उनका रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ था, वह इसी विषय पर था।

इसके बारे में उन्होंने कहा था कि हम इस अंतरिक्ष में इस अनोखे ब्रह्माण्ड के अंतर्गत अकेले नहीं हैं। आगे चलकर इस बात की पुष्टि हो जायगी कि हमारे सामान कई ब्रह्माण्ड विराजमान है।



क्या प्राचीन ऋषियों को समानांतर ब्रह्माण्डों का ज्ञान था ?


आज के आधुनिक ब्रह्माण्ड विज्ञान की नींव डाली महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) ने और उनका भरपूर साथ दिया मैक्स प्लांक (Max Plank), श्रोडिन्गर (Schrodinger), पॉल डिराक (Paul Dirac) आदि वैज्ञानिकों ने | आइंस्टीन के सापेक्षिकता के सिद्धांत (Theory Of Relativity) ने आधुनिक विज्ञान को आध्यात्म से जोड़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | जिस समय आइंस्टीन ने दुनिया को सापेक्षिकता के सिद्धांत के बारे में बताया, तत्कालीन वैज्ञानिकों को ये स्वीकार करने में कठिनाई महसूस हुई कि ये दुनिया, ब्रह्माण्ड सिर्फ न्यूटन के बताये सिद्धांतो पर नहीं चलती |

आइंस्टीन ने अपने सापेक्षिकता के सिद्धांत में बताया कि समय और स्थान (Time and Space) एक दूसरे से अलग नहीं है | जैसे-जैसे समय बीतता गया, आइंस्टीन के सिद्धांतो की प्रयोगों द्वारा पुष्टि होती गयी | वर्तमान समय में जेनेवा में, लार्ज हेड्रान कोलाईडर (Large Hadron Collider) मशीन पर होने वाले नित नए प्रयोगों के परिणाम विस्मयकारी आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं |

लेकिन वैज्ञानिको के लिए जो सबसे ज्यादे चकित करने वाली बात है वो ये है की ये आंकड़े, वैज्ञानिकों को जिन निष्कर्षों पर पहुंचा रहे हैं वो आज से हज़ारों वर्ष पहले लिखे गये हिन्दू धर्म ग्रंथों में बहुत विस्तार से समझाया गया है | इस लेख में हम आपको ऐसी ही एक घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमे ब्रह्माण्ड के समय और स्थान के परस्पर संबंधों की व्याख्या की गयी है |

योगवशिष्ठ में एक बहुत महत्वपूर्ण वर्णन आता है। यह घटना जीवन के उद्देश्य, रहस्यों और मृत्यु के बाद की जीवन श्रंखला पर भी प्रकाश डालता है इसलिये विद्वान इसे योगवशिष्ठ की सर्वाधिक उपयोगी आख्यायिकाओं में से एक मानते हैं। वर्णन इस प्रकार है-

किसी समय आर्यावर्त क्षेत्र में पद्म नाम का राजा राज्य करता था । लीला नाम की उसकी धर्मशील धर्मपत्नी उसे बहुत प्यार करती थी । जब कभी वह अपने पति की मृत्यु की बात सोचती तो वियोग की कल्पना से घबरा उठती । अंत में कोई उपाय न देखकर उसने भगवती सरस्वती की उपासना की और यह वरदान प्राप्त कर लिया कि यदि उसके पति की मृत्यु पहले हो जाती है, तो पति की अंतःचेतना राजमहल से बाहर न जाये । माँ सरस्वती ने यह भी आशीर्वाद दिया कि तुम जब चाहोगी अपने पति से भेट भी कर सकोगी ।

कुछ दिन बाद दुर्योग से पद्म का देहान्त हो गया । लीला ने पति का शव महल में ही सुरक्षित रखवा कर भगवती सरस्वती का ध्यान किया | सरस्वती ने उपस्थित होकर कहा-भद्रे ! दुःख न करो तुम्हारे पति इस समय यहीं है पर वे दूसरी सृष्टि (दूसरे लोक) में है | उनसे भेट करने के लिए तुम्हें उसी सृष्टि वाले शरीर (मानसिक ध्यान द्वारा) में प्रवेश करना चाहिए।

लीला ने अपने मन को एकाग्र किया, अपने पति की याद की, उनका ध्यान किया और उस लोक में प्रवेश किया जिसमें पद्म की अंतर्चेतना विद्यमान थी । लीला ने वहां जा कर, कुछ क्षणों तक जो कुछ दृश्य देखा उससे बड़ी आश्चर्यचकित हुई ।

उस समय सम्राट पद्म इस लोक (यानी इस सृष्टि) के 16 वर्ष के महाराज थे और एक विस्तृत क्षेत्र में शासन कर रहे थे । लीला को अपने ही कमरे में इतना बड़ा साम्राज्य और एक ही दिन के भीतर 16 वर्ष व्यतीत हो गये ये देखकर बड़ा विस्मय हुआ । उस समय भगवती सरस्वती उनके साथ थी उन्होंने समझाया पुत्री –

सर्गे सर्गे पृथग्रुपं सर्गान्तराण्यपि । तेष्पन्सन्तः स्थसर्गोधाः कदलीदल पीठवत्। योगवशिष्ठ 4।18।16।77

आकाशे परमाण्वन्तर्द्र व्यादेरगुकेअपि च । जीवाणुर्यत्र तत्रेदं जगद्वेत्ति निजं वपुः ॥ योगवशिष्ठ 3।443435

अर्थात्- “हे लीला ! जिस प्रकार केले के तने के अन्दर एक के बाद एक परतें निकलती चली आती है उसी प्रकार प्रत्येक सृष्टि क्रम विद्यमान है इस प्रकार एक के अन्दर अनेक सृष्टियों का क्रम चलता है। संसार में व्याप्त चेतना के प्रत्येक परमाणु में जिस प्रकार स्वप्न लोक विद्यमान है उसी प्रकार जगत में अनंत द्रव्य के अनंत परमाणुओं के भीतर अनेक प्रकार के जीव और उनके जगत विद्यमान है”।

अपने कथन की पुष्टि करने के लिए, एक जगत (सृष्टि) दिखाने के बाद उन्होंने लीला से कहा – देवी तुम्हारे पति की मृत्यु 70 वर्ष की आयु में हुई है ऐसा तुम मानती हो (क्योकि इस जन्म और लोक में यह सत्य भी है), इससे पहले तुम्हारे पति एक ब्राह्मण थे और तुम उनकी पत्नी । ब्राह्मण की कुटिया में उसका मरा हुआ शव अभी भी विद्यमान है चलो तुम्हे दिखाती हूँ, यह कहकर भगवती सरस्वती लीला को और भी सूक्ष्म जगत में ले गई और लीला ने वहाँ अपने पति का मृत शरीर देखा -उनकी उस जीवन की स्मृतियाँ भी याद हो आई और उससे भी बड़ा आश्चर्य लीला को यह हुआ कि जिसे वह 70 वर्षों की आयु समझे हुये थी वह और इतने जीवन काल में घटित सारी घटना उस सृष्टि (जिसमे उनके पति ब्राह्मण थे और वो उनकी पत्नी) के कुल 7 दिनों के बराबर थी।

लीला ने यह भी देखा कि उस समय उनका नाम अरुन्धती था- एक दिन एक राजा की सवारी निकली उसे देखते ही उनको राजसी भोग भोगने की इच्छा हुई। उसी सांसारिक इच्छा के फलस्वरूप ही उसने लीला का शरीर प्राप्त किया और राजा पद्म को प्राप्त हुई । इसी समय भगवती सरस्वती की प्रेरणा से राजा पद्म जो कि दूसरी सृष्टि में थे उन्हें अंत समय (वहां की सृष्टि के अनुसार) में फिर से पद्म के रूप में राज्य-भोग की इच्छा जाग उठी, लीला को उसी समय फिर पूर्ववर्ती भोग की इच्छा ने प्रेरित किया और फलस्वरूप वह भी अपने व्यक्त शरीर में आ गई और राजा पद्म भी अपने शव में प्रविष्ट होकर जी उठे फिर कुछ दिन तक उन्होंने राज्य-भोग भोगे और अन्त में पुनः मृत्यु को प्राप्त हुए।

इस कथानक में महर्षि वशिष्ठ ने मन की अनंत इच्छाओं के अनुसार जीवन की अनवरत यात्रा, मनुष्येत्तर योनियों में भ्रमण, समय तथा स्थान से निर्मित ब्रह्माण्ड (टाइम एण्ड स्पेश) में चेतना के अभ्युदय और अस्तित्व तथा प्राण विद्या के गूढ रहस्यों पर बड़ा ही रोचक और बोधगम्य प्रकाश डाला है । पढ़ने सुनने में यह कथानक परियों की सी कथा या जादुई चिराग जैसी लग सकती है लेकिन ये वो विज्ञान है जिसकी सहायता से पूरे ब्रह्माण्ड की व्याख्या की जा सकती है |

आज के आधुनिक वैज्ञानिकों के सामने दोहरी समस्या है, पहली ये की वो ये स्वीकार करने में कठिनाई महसूस करते है की हिन्दू धर्म के प्राचीन ऋषि-महर्षि, समय-स्थान,

ब्रह्माण्ड (Universe), समानांतर ब्रह्माण्ड (Parallel Universe) आदि की गुत्थी सुलझा चुके थे (क्योकि ये स्वीकार करने में इतिहास और दर्शन की सभी प्राचीन मान्यताये छिन्न-भिन्न होने का खतरा है), और दूसरी समस्या ये है कि अगर वो ये मान भी लें की ऐसा था तो उन प्राचीन ऋषि-महर्षि के ज्ञान को, उनके आधुनिक विज्ञान की भाषा में उनको समझाएगा कौन ?

यहाँ यक्ष प्रश्न यह भी है कि हमारे ही पूर्वजों द्वारा अर्जित ज्ञान और हम ही इसका महत्व नहीं समझते |

मानवेतर सत्ता का विस्तार असीम है | उसकी तुलना में बहुत ही सीमित क्षेत्र (Dimension) की दुनिया में हम अपने दैनिक जीवन के क्रिया-कलाप को अंजाम दे रहे हैं | इसके परे जो दुनिया है उसे समझने के लिए हमें अपने, स्वयं का विस्तार करना पड़ेगा तभी हम उसे समझ पायेंगे |


Research Of ANITA





जी हा NASA की 'ANITA' की Latest Research में कुछ असामान्य बाते के बारे में पता लगा जो कही न कही Parallel Universe के बारे में बताती है तो चलिए विस्तार से जानते है!



आमतौर पर कॉस्मिक किरणों की बारिश अंतरिक्ष में होती है और यह हमारे आकाश में दिखती है, लेकिन अगर यह बारिश धरती से हो तो वैज्ञानिकों के तो सारे सिद्धांत ही गलत साबित होने लगेंगे और यही हुआ है.इसी लिए वैज्ञानिकों यह निष्कर्ष तक खारिज करने की स्थिति में नहीं हैं कि इसका कारण एक समांतर ब्रह्माण्ड तक हो सकता है.

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने समानांतर ब्रह्मांड (Parallel Universe) की खोज की है. यानी हमारे ब्रह्मांड के पड़ोस में एक और यूनिवर्स है. लेकिन यहां पर समय उल्टा चलता है. पैरेलल यूनिवर्स को लेकर अंटार्कटिका में एक शोध किया गया. इसी के आधार पर नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने एक और ब्रह्मांड खोज लिया है.

कई वैज्ञानिक इस पर लंबे समय से काम कर रहे हैं. कुछ वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं है. अंटार्कटिका में वैज्ञानिकों के प्रयोग ने दूसरे ब्रह्मांड की बात को सही साबित करने की कोशिश की है. वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक इम्पलसिव ट्रांसिएंट एंटीना (Antarctic Impulsive Transient Antenna - ANITA) को एक विशाल बैलून के जरिए ऊंचाई तक पहुंचाया.

इस बैलून के इतनी ऊंचाई पर पहुंचाया गया जहां हवा सूखी है. रेडियो नॉइज नहीं होता. आउटर स्पेस से पृथ्वी पर हाई एनर्जी पार्टिकल्स आते रहते हैं जो यहां की तुलना में कई लाख गुना ज्यादा ताकतवर होते हैं.

जिन कणों का वजन शून्य के करीब होता है और जो लो-एनर्जी के होते हैं जैसे- सब एटॉमिक न्यूट्रीनॉस (neutrinos). ये बिना किसी कण से टकराए पृथ्वी के आर-पार हो जाते हैं. लेकिन हाई एनर्जी कण पृथ्वी के सॉलिड मैटर से टकरा कर रुक जाते हैं.

हाई-एनर्जी वाले कण को केवल आउटर स्पेस से सिर्फ नीचे आते वक्त ही पता किया जा सकता है. लेकिन ANITA से ऐसे न्यूट्रीनॉस पता चले जो पृथ्वी से ऊपर की तरफ आ रहे थे. यानी ये कण समय में पीछे की तरफ चल रहे हैं. जो सामानांतर ब्रह्मांड की थ्योरी को सही साबित करते हैं. (फोटोः NASA/ANITA)

इस ब्रह्मांड में जैसी धरती है वैसे ही दूसरे यूनिवर्स में भी पृथ्वी होगी. कई ब्रह्मांडों को लेकर वैज्ञानिकों के बीच पांच तरह की थ्योरी हैं. इनमें बिग बैंग के अलावा भी एक थ्योरी है जो कहती है कि ब्लैक होल की घटना के ठीक उलट प्रक्रिया से नए यूनिवर्स पैदा हुए. एक और थ्योरी कहती है कि बड़े यूनिवर्स से दूसरे छोटे यूनिवर्स पैदा हुए.

दुनिया के प्रख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की आखिरी रिसर्च कई ब्रह्मांडों को लेकर थी. यानी हमारे यूनिवर्स के अलावा कई अन्‍य यूनिवर्स मौजूद हैं. मई 2018 में उनका ये पेपर पब्लिश हुआ था. हॉकिंग की थ्योरी के मुताबिक कई यूनिवर्स ठीक हमारे जैसे हो सकते हैं जिनमें धरती जैसे ग्रह होंगे.

ग्रह ही नहीं हमारे जैसे समाज और लोग भी हो सकते हैं. कुछ ब्रह्मांड ऐसे भी होंगे जिनके ग्रह धरती से बिलकुल अलग होंगे, वहां सूर्य या तारे नहीं होंगे लेकिन भैतिकी के नियम हमारे जैसे ही होंगे.

इस प्रयोग से वैज्ञानिकों को लगता है कि उन्होंने यह प्रयोग करते हुए एक समांतर ब्रह्माण्ड का प्रमाण ढूंढ लिया है. यह एक बहुत बड़ा दावा हो सकता है, लेकिन इसका आधार शोधकर्ता यह बताते हैं उन्होंने ऐसी जगह मिली है जहां भैतिकी की मानक नियम लागू नहीं होते. इसी लिए इस जगह को एक समांतर ब्रह्माण्ड की संज्ञा दी जा रही है.

शोधकर्ताओं का लगता है कि इस तरह की उल्टी बारिश यानि कि कणों का उल्टी दिशा में उत्सर्जित होना यह दर्शाता है कि ये कण समय के विपरीत दिशा में लौट रहे हैं. इसीलिए उन्हें लगता है कि हमारे पास ही एक समांतर ब्रह्माण्ड मौजूद है.

शोधपत्र जारी करने को मजबूर हुए शोधकर्ता हवाई यूनिवर्सीटी के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर पीटर ग्रोहैम ने कहा, “ऐसा लगता है कि कॉस्मिक किरणें बर्फ से निकल रही थीं. यह काफी अजीब बात है. यह भौतिकी मान नियमों के विरुद्ध दिखाई देता है. इसी लिए हमने इस पर शोध पत्र जारी करने का फैसला किया.“

ऐसे घटना तो समांतर ब्रह्माण्ड में ही हो सकती है इस खोज से ऐसा लगता है कि संकेत ऊपर जा रहे कणों से आ रहे थे. जो बर्फ से निकलने से पहले पृथ्वी की सतह के अंदर से एक सुरंग के जरिए आ रहे होंगे. लेकिन कॉस्मिक किरणें इतनी बड़ी संख्या में ऐसे नहीं आ सकतीं. ऐसा लगता है कि ये कॉस्मिक किरणें पृथ्वी की अंदर विस्फोटित हुए सुपरनोवा से आ रहीं थीं.

प्रोफेसर ग्रोहैम का कहना है कि सभी लोग इस अवधारणा को स्वीकार नहीं कर पाएंगे. अभी भले ही कुछ सिद्ध न किया जा पा रहा हो, लेकिन यह तय है कि यह वैज्ञानिकों को खोज के अनंत संभावना देता दिखाई दे रहा है.



तो दोस्तों केसा लगा आपको हमारा ये artical आशा करता हु की आपको समझ आया होगा मेने आपको आसान भाषा में सझाने की कोसीस करी है फिर भी अगर कही भी सझने में दिकत आयी होतो हमें बताए और अगर आपको हमारी ये पंसद आया तो comment जरूर करे और अगर आपको कोई और भी Science से Relatet Facts ,Theory आदि के बारे में पड़ना है तो हमें जरूर बताये Thank You.

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"Educationists should build the capacities of the spirit of inquiry, creativity, entrepreneurial and moral leadership among students and become their role model."

Dr. Abdual Kalam