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Networking Devices

Networking Devices In Hindi

Networking Devices.


हैल्लो दोस्तों आज हम आपको बताने वाले है की कंप्यूटर नेटवर्क क्या होता है और इसमें इस्तेमाल होने वाली डिवाइस कौन कौन सी है तो दोस्तों चलिए जानते है.

Networking Device वह Equipment होते हैं जिनके द्वारा दो या दो से अधिक Computer या Electronic Device को आपस में जोड़ा जाता हैं जिससे की वह आपस में Data Share कर सके |

दो या तदो से अधिक नेटवर्क आपस में Connect करने के लिए और Computers को LAN से जोड़ने के लिए. इन सबके लिए हमें कुछ Network Devices जैसे HUB, Repeater, Switch, Router, Modem, Bridge. आदि की जरूरत पड़ती है तो चलिए इनके बारे में विस्तार से जानते है.

HUB





HUB एक Physical नेटवर्किंग डिवाइस हैं जिसका उपयोग हम बहुत सारे LAN नेटवर्क या कंप्यूटर को आपस में Connect करने में Use करते हैं hub को एक Foolish Device माना जाता हैं क्योकि यह अन्य डिवाइस की भांति itelligent नहीं होता है, जब हम एक कंप्यूटर से Hub के जरिए दूसरे कंप्यूटर में Data Packages send करते हैं तो Hub उसे एक perticular कंप्यूटर में ना भेजकर वह अपने से जुड़े सभी कंप्यूटर को वह डाटा पैकेट भेज देता हैं इसलिये इसे एक Foolish Device भी कहा जाता है।

Hub का के कुछ drawback इस प्रकार के हैं पहला drawback यह हैं की hub जो हैं बेहद कम Secure होता हैं और इसमें Data Sending Speed कम होती हैं और यह अनचाहा traffice को Create करता हैं

Hub को Network Hub भी कहा जाता है| यह एक Common Networking Device होता है जिसका इस्तेमाल LAN के Segment (भाग) को connect करने के लिए होता है| Hub में Multiple ports होते हैं, जब एक port के पास कोई भी packet पहुँचता है तो वह सभी port के पास copy कर देता है ताकि जितने भी LAN segment उस hub से connected हैं वे सब इस packet को देख सकें.


HUB दो प्रकार के होते है Active HUB और Passive HUB.


Passive Hub


Passive Hub:- यह सिग्नल को जैसा है उसी स्थिति में आगे भेज देता है इसलिए इसे power supply की जरुरत नहीं होती है.


Active Hub


Active Hub:- इसमें सिग्नल को दुबारा generate किया जाता है, इसलिए ये भी repeater की तरह कार्य करते है. इन्हें multiport repeater कहते है. इसमें power supply की जरुरत होती है.


Advantage of HUB


  • नेटवर्क के साइज़ को बढ़ाने में Help करता है।

  • हब के उपयोग से नेटवर्क के परफॉरमेंस में कोई फर्क नहीं पड़ता है।

  • हब विभिन्न प्रकार के Network media को Support करता है।

Disadvantage of HUB


  • हब Network Traffic को फ़िल्टर नहीं कर सकता है।

  • हब नेटवर्क के best path का Selection नहीं कर सकता है।

  • अलग अलग प्रकार के Network Architecture को connect नहीं कर सकता है।

  • Network को Segment में Divide नहीं कर सकता है।

  • नेटवर्क ट्रैफिक को Reduce नहीं कर सकता है।


Switch





Switch एक Physical नेटवर्किंग डिवाइस हैं मतलब की यह एक हार्डवेयर डिवाइस हैं और इसका उपयोग हम बहुत सारे LAN नेटवर्क या कम्प्यूटर्स को आपस में एक नेटवर्क में कनेक्ट करने के लिए करते हैं switch जो वह hub की तरह फूलिश नहीं हैं यह एक itelligent डिवाइस हैं switch में बहुत सारे पोर्ट्स होते हैं जिसमे हम Ethernet cable के जरिए कंप्यूटर के NIC पोर्ट से कनेक्ट करते हैं

ये Device भी HUB जैसे Physical Layer पे काम करती है. ये DEVICE HUB से ज्यादा Intelligent है. HUB बस Data Packet को forward करता है लेकिन Switch Forwarding के साथ साथ Filter भी करता है. इसलिए इसको Intelligent बोला ज्याता है.

यह information के packet में MAC address के अनुसार ports के बीच डाटा को filter करता है मतलब की यह data को filter करके ये पता लगाने की कोशिश करता है की इस डाटा को किस port के पास भेजना है|

Switch के पास Multiple ports होते हैं और यह सभी ports के MAC address (Media Access control address) को table में store करके रखता है ताकि information के MAC address के अनुसार उस port तक directly भेजा जा सके| यह सभी port के पास डाटा को copy नहीं करता है इसलिए इसे Intelligent device बोला जाता है|
Network switch को Switching hub, Bridging hub और MAC bridge भी कहा जाता है|



Advantage of Switch


  • इसका इस्तमाल network की available bandwidth को बढ़ाने के लिए होता है.

  • इनके इस्तमाल से individual host PCs के workload को कम किया जा सकता है.

  • ये network के performance को बढ़ाने में मदद करते हैं.

  • Networks जिनमें switches का इस्तमाल होता है उनमें बहुत ही कम frame collisions होते हैं. ऐसा इसलिए क्यूंकि switches collision domains create करते हैं प्रत्येक connection में.
  • ये Hubs की तुलना में ज्यादा intelligent होते हैं.
  • Switches को directly Workstation के साथ में connect किया जा सकता है.

Disadvantage of Switch


  • अगर switches promiscuous mode में हों, तब वो ज्यादा vulnerable होते हैं security attacks के लिए उदाहरण के लिए spoofing IP address या Ethernet frames को capture करना.
    Proper design और configuration की जरुरत होती है multicast packets को handle करने के लिए.

  • ये बहुत ही ज्यादा expensive (कीमती) होते हैं network bridges की तुलना में.

  • Traffic को Broadcast करना ज्यादा troublesome काम हो सकता है.

  • Network connectivity issues को trace करना बहुत ही difficult होता है network switch के माध्यम से.

  • जब broadcasts को limit करने की बारी आती है, तब वो Routers के समान उतने बेहतर कार्य नहीं करते हैं.

Modem





Modem का नाम आपने पहले जरुर सुना होगा. लेकिन क्या आपको सही माईने में पता है की Modem क्या है , ये कैसे काम करता है? वैसे एक modem के माध्यम से ही आप अपने computer को available Internet connection के साथ connect कर सकते हैं existing telephone line के माध्यम से. NIC के जैसे, Modem को computer motherboard के साथ integrate करने के लिए इस्तमाल किया जाता है. बल्कि यह एक separate part के रूप में उपलब्ध होता है जिसे की PCI slots में install किया जा सकता है जिन्हें motherboard में आप पा सकते हैं.



Modem का Full Form होता है “ Modulator / Demodulator.” यह एक ऐसा hardware component होता है जो की allow करता है एक computer या दुसरे device को, जैसे की एक router या switch, को Internet के साथ connect होने के लिए. ये convert करता है या “modulates” करता है एक analog signal को एक telephone या cable wire से digital signal में जिसे की एक computer आसानी से recognize कर सकें. वहीँ Similarly, ये convert करता है outgoing digital data को एक computer या दुसरे device में analog signal में.



यह हर कोई इस्तेमाल करता है आजकल की Internet दुनिया में. जब भी घर में Internet का उपयोग करते हैं, तभी DATA बहार की दुनिया से हमारे Computer तक पोहंचता है. लेकिन हमारा Computer Digital DATA को ही समझता है जैसे की Binary 0 और 1. और cables में DATA Analog signal के form में जाता है.



आस्खिर मॉडेम की खोज किसने की? 1962 में, पहला commercial modem, AT&T द्वारा Bell 103 के रूप में निर्मित और बेचा गया था. पहले modems होते थे “dial-up,” मतलब की उन्हें एक phone number dial करना होता है ISP के साथ connect होने के लिए. ये modems operate होते हैं standard analog phone lines में और इसमें भी वही समान frequencies का इस्तमाल होता है telephone calls के जैसे, जो की उनकी data transfer rate को limit कर देती है maximum 56 Kbps तक. Dial-up modems को भी local telephone line की full bandwidth की जरुरत होती है, इसका मतलब की voice calls आपके internet connection को interrupt कर सकती है.



वैसे एक modem की ज्यादा जरुरत LAN में नहीं होती है, लेकिन इनकी जरुरत दुसरे internet connection जैसे की dial-up और DSL में जरुर से होती है. Modems के बहुत से प्रकार होते हैं जो की Speed और Transmission rate में एक दुसरे से differ करते हैं. Standard PC modem या Dial-up modems की (56Kb data transmission speed) होती है, Cellular modem (जिन्हें की laptop में इस्तमाल किया जाता है और ये enable करता है connect होने में एक ही समय में ), cable modem (जो की 500 times faster होता है standard modem से) और DSL Modems भी बहुत ही popular होते हैं. इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को Modem क्या होता है हिंदी में समझाया जाये जिससे की आप लोगों को इसके विषय में कहीं और ढूंडने की जरुरत नहीं होती है. तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं.



Type Of Modem


मूल रूप से Modem के चार प्रकार होते है – बाह्य, आंतरिक, पीसी, कार्ड और वायरलेस |

External Modem

कंप्यूटर के बाहर स्थित इसे कंप्यूटर के सीरियल पोर्ट में एक केबल द्वारा जोड़ा जाता है| एक अन्य तार द्वारा मॉडेम को टेलीफोन लाइन में जोड़ते है |

Internal Modem

यह सिस्टम यूनिट के भीतर स्थित एक प्लग-इन सर्किट बोर्ड होता है| इस मॉडेम को टेलीफोन केबल द्वारा टेलीफोन लाइन से जोड़ते है|



PC Care Modem

क्रेडिट कार्ड के आकार वाले इस एक्सपेंशन बोर्ड को पोर्टेबल कंप्यूटर के अन्दर लगाते हैं इसे टेलीफ़ोन केबल द्वारा टेलीफ़ोन लाइन से जोड़ते हैं |



Wireless Modem


बाह्य, आंतरिक अथवा पीसी कार्ड किसी प्रकार का हो सकता हैं अन्य मॉडेमों के विपरीत इसमें किसी प्रकार के तार का प्रयोग नहीं होता हैं | बल्कि यह वायु के माध्यम से संकेतों को भेजता और प्राप्त करता हैं|



Router




Router एक Hardware Networking Device है. इसका इस्तमाल Network में किया जाता है. जब भी कोई data जो एक Pcaket के रूप में एक Network से दुसरे Network में Travel करता है. तब Router, Packet data को Receive करता है, और Data Packet में जो भी छुपी हुई Information है, उसको Analyze करने के बाद Destination Device को Forward करता है. इस Networking Device को अलग अलग Networks को अपसा में Wire या Wirelessly जोड़ने के लिया किया जाता है. वैसे तो इसका इस्तमाल घर में भी होता है जिसको हम Wireless Router कहते हैं. जिसे आप Internet को Access करते हैं.


जब information का कोई भी packet router के किसी line में आता है तो सबसे पहले router उस information के network address को पढता है ताकि उसके destination node के बारे में पता लगाया जा सके और उसके बाद उसको destination node तक पहुँचाने के लिए next network में transfer कर देता है|

यह कोनसे Layer पे और कहाँ काम करता है
जैसे की आपको पता होगा CompuInternetwork OSI Model को Follow करता है. Router OSI Model के 7 Layer में से Network Layer पे काम करता है. मैंने आपको बताया Hardware और Software से यह Device बनी है. इसमें एक Internet work Operating System, CPU, Memory Storage और कुछ I/O Ports रहते हैं जैसे की आप देखे ही होंगे. यह Operating System Windows या MAC जैसे नहीं होते. Storage Memory में Routing Algorithm और Routing Table को Store किया जाता है.



Router किसी Data को Network में Send करने के लिए 2 Types के Protocol Use करता है

Routed Protocol

यह Protocol Data को Carry करते है और Logical Addressing डिफाइन करते है इस तरह के Protocol में Device को मैन्युअली एक IP दिया जाता है |
IP,IPX, AppleTalk.. यह protocol Routed Protocol के अन्दर कम करते है.


Routing Protocol


इस Types के Protocol Routers के बीच Path Determination करते है इन्ही की हेल्प से Router अपनी Routing Table अपडेट करते है |
RIP, IGRP, EIGRP, OSPF.. Etc यह Protocols Routing Protocol के अन्दर काम करते है |


Components of Router

Router Computer System की तरह कई Components से मिलकर बना होता है| राऊटर के कुछ Basic Components इस प्रकार है |

  • ROM
  • FLASH
  • RAM
  • NV-RAM
  • Ports


Bridge







जैसे की Router दो अलग अलग Network को Connect करता है वैसे ही Bridge दो Sub network को Connect करता है. जो की एक ही Network के होते हैं. एक उदहारण ले लेते हैं. आप दो computer lab को और दो Floors को Bridge के जरिये ही Connect कर सकते हैं.



Bridge का example: जैसे आपने अपने शहर में देखा होगा की एक ही प्रकार के road को जोड़ने के लिए over bridge बनाये जाते हैं ताकि दोनों road एक दुसरे से connected रहे| ठीक उसी प्रकार एक ही प्रकार के network को connect करने के लिए bridge का इस्तेमाल होता है ताकि network के बीच data transmission होते रहे|

Type Of Bridge



Transporter bridge

ये वो ब्रिज होते हैं जिनमे स्टेशनों को ब्रिज की उपस्थिति का पता ही नहीं चलता। भले ही किसी ब्रिज को नेटवर्क से जोड़ा जाये या फिर हटाया जाए, स्टेशनों का फिर से कॉन्फ़िगरेशन करना जरूरी होता है। ये ब्रिज दो प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हैं- ब्रिज फोर्वार्डिंग और ब्रिज लर्निंग।

Source routing bridge

इन ब्रिजों में सोर्स स्टेशन द्वारा रूटिंग के कार्य को अंजाम दिया जाता है और फ्रेम ये तय करता है कि किस वाले रूट को फॉलो करना है। इसमें होस्ट को फ्रेम को खोजने के लिए एक स्पेशल फ्रेम भेजना होता है जिसे डिस्कवरी फ्रेम कहते हैं। ये डिस्कवरी फ्रेम पूरे नेटवर्क में डेस्टिनेशन तक पहुँचने वाले सारे सम्भव रास्तों का प्रयोग कर के फ़ैल जाता है।

Advantage of network Bridge

  • Increases Network Length
  • Prevents Bandwidth Waste


Repeater





यह एक Electronic Device है. जो की signal strength को बढ़ाने मदद करता है. इसको ये भी बोल सकते हो, ये एक एसा Electronic Device जो Signal को receive करता है और उसे Re transmit करता है. Repeater signal Lost होने से बचाता है. इसकी वजह से DATA बिना lost हुए दूर दूर तक पोहंचता है.



अगर एक College में Hostel, College से काफी दूर है. college वाले चाहते है की वो hostel और College को cable से internet connection देना चाहते हैं. दुरी ज्यादा होने के कारण DATA सही से Receiver तक नहीं पोहंचता और DATA lost हो जाता है. इसकेलिए Hostel और College के बिच जो cable लगेगा उसके बिच में एक Repeater लगाना पड़ेगा. हर cables का data transmission distance में Limitation रहता है.



Repeater का इस्तेमाल transmission power को बढाने के लिए किया जाता है जैसे मान लीजिये कोई भी telephone call को telephone line के द्वारा भेजा जा रहा है तो बहुत ज्यादा लम्बी दुरी तय करने में कुछ power lost हो जाता है जिससे audio quality खराब हो जाता है और दुसरे end तक पूरी तरह से आवाज नहीं जा पाता है इसलिए repeater का इस्तेमाल किया जाता है ताकि वह फिर से उस audio signal को high power के साथ आगे भेज सके और audio signal पूरी तरह से दुसरे end तक पहुँच सके|



Types Of Repeater



Analog Repeater– यह रिपीटर केवल Signals को करता है ?

Digital Repeater – यह रिपीटर Signals को Reconstruct और उनमे से Error को हटा के आगे भेज देते है |

Advantage Of Repeater



  • रिपीटर के माध्यम से सिग्नल को Regenerate करके लम्बी दुरी तक ट्रांसमिट किया जा सकता है।

  • Repeater एक Intelligent डिवाइस है यह सिग्नल को Regenerate करने के साथ साथ सिग्नल में उपस्थित Noise और Error को भी Repair करता है।

  • रिपीटर एक Simple Device है अतः इसके उपयोग करने के लिए टेक्निकल स्किल की जरुरत नहीं होती है।

  • रिपीटर की कीमत ज्यादा नहीं होती है अतः इस नेटवर्क में उपयोग करने से नेटवर्क की Cost में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।

  • रिपीटर वायर्ड और वायरलेस दोनों प्रकार के आते है अतः यूजर अपने सुविधा के अनुरूप उपयोग कर सकता है।

  • रिपीटर का उपयोग करके नेटवर्क के साइज़ को बड़ा करने पर उसके परफॉरमेंस में कोई फर्क नहीं पड़ता है।

  • रिपीटर अलग अलग प्रकार के मीडिया से कनेक्ट होकर कार्य कर सकता है जैसे ट्विस्टेड पेअर केबल , कोएक्सीयल केबल, फाइबर ऑप्टिक्स इत्यादि। Repeater के Disadvantage क्या है?

  • Repeater में नेटवर्क को मॉनिटर करने एवम् उनको ठीक करने की फंक्शन नहीं होती है।

  • रिपीटर का उपयोग केवल डिजिटल सिग्नल के लिए किया जाता है यह एनालॉग सिग्नल के लिए कार्य नहीं करता है।

  • Repeater का उपयोग करके दो अलग-अलग LAN को कनेक्ट नहीं किया जा सकता है इसके द्वारा केवल एक ही LAN के अलग-अलग सिग्मेंट को जोड़ा जा सकता है।

  • Repeater नेटवर्क के ट्रैफिक को फ़िल्टर नहीं कर सकता है।

  • Repeater केवल एक ही प्रकार के प्रोटोकॉल पर कार्य कर सकता है।



Interface cards:





Network Interface cards (NICs) को Network Interface Controller (NIC, Network adapter, LAN adapter और Physical Network interface भी कहा जाता है| यह एक computer hardware component होता है जिसका इस्तेमाल computer को computer network से connect करने के लिए होता है|

Personal computer और workstations में Network interface card पहले से ही design किया हुआ रहता है, यह specially LAN Transmission technology के लिए design किया गया है|



Objectives of NIC


NIC के द्वारा वायर्ड और वायरलेस दोनों प्रकार के कम्युनिकेशन किये जा सकते हैं|

NIC local area network (LAN) के साथ-साथ internet protocol (IP) के माध्यम से बड़े पैमाने पर कंप्यूटर के बीच कम्युनिकेशन की अनुमति देता है।

NIC फिजिकल लेयर और डेटा लिंक लेयर डिवाइस दोनों है, अर्थात यह आवश्यक हार्डवेयर सर्किटरी प्रदान करता है ताकि फिजिकल लेयर प्रोसेस और कुछ डेटा लिंक लेयर प्रोसेस उस पर चल सकें।

Types of NIC Card

यह दो प्रकार के होते है-

Internal Network Card

आंतरिक नेटवर्क कार्ड में, मदरबोर्ड में नेटवर्क कार्ड के लिए एक स्लॉट होता है जहां इसे डाला जा सकता है। नेटवर्क पहुंच प्रदान करने के लिए इसे नेटवर्क केबल की आवश्यकता होती है। आंतरिक नेटवर्क कार्ड दो प्रकार के होते हैं। पहला प्रकार Peripheral Component Interconnect (PCI) कनेक्शन का उपयोग करता है, जबकि दूसरा प्रकार Industry Standard Architecture (ISA) का उपयोग करता है।

External Network Card

डेस्कटॉप और लैपटॉप में जिनके पास आंतरिक NIC नहीं है, बाहरी NIC का उपयोग किया जाता है। बाहरी नेटवर्क कार्ड दो प्रकार के होते हैं: वायरलेस और यूएसबी आधारित। वायरलेस नेटवर्क कार्ड को मदरबोर्ड में डालने की आवश्यकता होती है, हालाँकि नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए किसी नेटवर्क केबल की आवश्यकता नहीं होती है। ट्रेवल करते समय या वायरलेस सिग्नल एक्सेस करते समय वे उपयोगी होते हैं।

Where is the network card located in the computer?

डेस्कटॉप कंप्यूटर में, नेटवर्क कार्ड सबसे अधिक बार यूएसबी पोर्ट के पास स्थित होता है लैपटॉप में, नेटवर्क कार्ड को मदरबोर्ड में एकीकृत किया जाता है। नेटवर्क पोर्ट जहां आप नेटवर्क केबल में प्लग करते हैं, यह अक्सर लैपटॉप पर साइड में स्थित होता है, यदि आपको अपने लैपटॉप पर नेटवर्क पोर्ट दिखाई नहीं देता है तो आपके लैपटॉप में वायरलेस नेटवर्क हो सकता है। आप लैपटॉप के लिए नेटवर्क कार्ड भी खरीद सकते हैं, जो उपलब्ध होने पर लैपटॉप की तरफ पीसी कार्ड स्लॉट में इनस्टॉल होता है।

Components of network interface cards

Speed : – सभी NIC में mbps के संदर्भ में स्पीड रेटिंग होती है जो कंप्यूटर के नेटवर्क में पर्याप्त बैंडविड्थ के साथ कार्यान्वित होने पर कार्ड के सामान्य प्रदर्शन का सुझाव देती है। यदि बैंडविड्थ NIC से कम है या कई कंप्यूटर एक ही कंट्रोलर से जुड़े हैं, तो यह लेबल की गति को धीमा कर देगा। औसत ईथरनेट NIC 10 mbps, 100 mbps, 1000 mbps और 1 जीबीपीएस में पेश किए जाते हैं।

Driver : – यह आवश्यक सॉफ्टवेयर होता है जो कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) और NIC के बीच डेटा को पास करता है। जब कंप्यूटर पर NIC इनस्टॉल होता है, तो संबंधित ड्राइवर सॉफ्टवेयर भी डाउनलोड किया जाता है।

MAC Address:- यूनिक मैक एड्रेस जिसे फिजिकल नेटवर्क एड्रेस के रूप में भी जाना जाता है, NIC को सौंपा जाता है जो कंप्यूटर पर ईथरनेट पैकेट वितरित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

Connectivity LED :- अधिकांश NIC में एलईडी इंडिकेटर होता है जो नेटवर्क से कनेक्ट होने और डेटा प्रसारित होने पर यूजर को सूचित करने के लिए कनेक्टर में एकीकृत होता है।

Firewalls





Firewall एक network security system होता है जो incoming और outgoing network traffic को control और manage करने के लिए इस्तेमाल होता है| Firewall unsafe network traffic को access करने से reject करता है यानि की रोकता है और Safe network traffic को access करने के लिए allow करता है| यह unsafe network traffic और safe network traffic के बीच barrier establish करता है ताकि unauthorized access से रोका जा सके|

सभी तरह के Computers और उसके networks को घुसपेठियों, hackers और malware से बचा कर रखता है. Firewall हमारे Computer को आक्रामक software से बचाती है जो चुपके से हमारे Computers के अन्दर आ जाती है और सभी personal details उस software को भेजने वाले hackers के पास पहुंचा देती है जो इसका बहुत गलत फायेदा उठाता है.

Firewall दो प्रकार के होते हैं एक है Software Firewall और दूसरा है Hardware Firewall.



1 Hardware Firewall



Hardware Firewall आज कल सभी Routers में पहले से ही मौजूद रहते हैं जिसका काम होता है एक computer से दुसरे Computer में virus को जाने से रोकना. जैसे मान लीजिये एक कमरे में 10 Computers एक ही network से जुड़े हैं और वहां पर जिस router या modem का इस्तेमाल किया जा रहा है उसमे Firewall को enable कर दिया गया है, तो जितने भी Computers उस router के साथ जुड़े हुए हैं उन सभी में अपने आप firewall काम करना शुरू कर देता है. जब भी computers के जरिये internet पर कुछ भी काम किया जाता है तो वहां पर firewall Computers को virus और malware से सुरक्षित रखता है.

Computer से निकला हुआ हर एक request एक data packet के form में निकलता है और उसके साथ network का ID भी जुड़ा हुआ रहता है तो जब भी server से उस request का reply आता है तो वोही network ID उस packet के साथ जुड़ कर आता है जिससे की firewall को ये पता चल जाता है की वो data सही है. इसके अलावा कोई भी दूसरा packet अगर उस packet के साथ अन्दर घुसने की कोशिश करता है तो firewall उसे बाहार ही रोक देता है.



दूसरा काम firewall का ये है की अगर एक Computer में कहीं से भी virus आ जाता है तो वो virus उस Computer से निकल कर दुसरे Computer तक ना पहुँच सके इसका भी ख्याल firewall अच्छे से रखता है.



2 Software Firewall



नए generations के Windows Operating System में जैसे Windows 7, 8, 10, Vista, XP इत्यादि में Firewall पहले से ही inbuilt हो कर रहता हैं और वो by default “on” रहता है ताकि Computer पूरी तरह से सुरक्षित रह सके. आप चाहे तो Computers में इसकी settings को देख कर अपने जरुरत के हिसाब से बदल भी सकते हैं.

इसके अलावा बहुत सारे antivirus भी internet में मौजूद हैं जैसे Avast, McAfee, Norton, QuickHeal इस्त्यादी इन सभी में भी firewall का काम एक ही है. जब भी हम अपने computers में नए software या games को install करते हैं तो एक popup box हमारे computer में दीखता है जिसमे firewall user से permission मांगता है की क्या आपको इस program को अपने computer में install करना है क्यूंकि Windows firewall ने इस program को block कर दिया है, तो हम चाहे तो उस option को tick कर program को install कर सकते हैं. Software firewall इसी तरह से computer में काम करते हैं और हमारे personal data को hackers से और virus से बचा कर रखते हैं.



चाहे hardware हो या software हो Computers में firewall का इस्तेमाल करना बहुत जरुरी है क्यूंकि internet में बहुत सारे malicious site मौजूद है जो हमारे Computer में घुश कर data को चुरा सकते हैं.


Gateway





जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है, गेटवे एक ऐसा पैसेज है जो दो ऐसे नेटवर्क को साथ-साथ कनेक्ट करता है जो हो सकता है कि अलग-अलग नेटवर्किंग मॉडल पर कार्य कर रहे हों।

वो मूलतः एक संदेशवाहक एजेंट के रूप में काम करते हैं जो सिस्टम से डाटा लेता है, इसकी विवेचना करता है और किसी और सिस्टम को फिर ट्रान्सफर कर देता है।

गेटवेज़ को प्रोटोकॉल कोवेर्टर भी कहते हैं और ये किसी भी नेटवर्क लेवल पर कार्य करने की क्षमता रखता है। ये स्विच या राऊटर से ज्यादा काम्प्लेक्स भी होते हैं।



Types of Gateway



चाहे आप कोई भी प्रकार की network gateway का इस्तमाल कर लो अपनी घरों में या छोटे business में, उन सभी का function हमेशा समान ही होता है. ये connect करता है आपके local area network (LAN) और सभी devices को जो की इस network में होते हैं और फिर उससे किसी भी devices तक जहाँ वो जाना चाहता हो.



1.  Home networks और एक small businesses में, एक broadband router typically serve करता है एक network gateway के तरह. ये connect करता है devices को जो की आपके घरों में होता है या small business में, उन्हें internet के साथ. एक gateway बहुत ही महत्वपूर्ण feature होता है एक router का. Routers सबसे ज्यादा आप प्रकार के gateways होते हैं.



2.  कुछ cases में, जैसे की एक residence में जहाँ की dial-up internet access का इस्तमाल होता है, वहां gateway एक router हो होता है internet service provider की location में. ये ज्याद popular नहीं बन पाया क्यूंकि dial-up access की popularity धीरे धीरे कम होने लगी.



3.  कुछ small businesses configure करते हैं एक computer को जिससे की ये serve करें एक gateway के तोर पर internet के लिए, न की एक router के तरह इस्तमाल होने के लिए. इस method में दो network adapters की जरुरत होती है — एक को connect किया जाता है local network और वहीँ दूसरा को internet के साथ connect किया जाता है.



Gateways : As a Protocol Converters



Gateways एक तरह से network protocol converters होते हैं. अक्सर दो networks जिन्हें की एक gateway join करता है वो अलग अलग base protocols का इस्तमाल करते हैं. यहाँ पर ये gateway compatibility प्रदान करता है दोनों protocols के मध्य में. Protocols के प्रकार के ऊपर ये निर्भर करता है की वो किसे support करते हैं, वैसे ये network gateways OSI model के किसी भी level पर operate कर सकते हैं.



Functions Of Gateways



Gateways बहुत से forms ले सकते हैं और साथ में बहुत से प्रकार के tasks perform कर सकते हैं. इनमें बहुत से चीज़ें शामिल हैं :



Web application firewall – ये traffic को filter करने के लिए काम में आते हैं Web Server से to और from होने में, साथ में ये application-layer data का भी ध्यान रखते हैं.



API, SOA या XML gateway – ये manage करते हैं traffic को जो की flow कर रहे होते हैं Service के भीतर और बाहर, microservices-oriented architecture या एक XML-based web service.



IoT gateway – ये aggregate करती हैं sensor data को, साथ में ये translate करती हैं sensor protocols के बीच में, ये sensor data को process भी करता है उसे आगे send करने से पहले.



Cloud storage gateway – ये translate करता है storage requests को बहुत से अलग अलग cloud storage service API calls के माध्यम से.



Media gateway – ये convert करता है data को एक format से दुसरे format में जो की अलग network को जरुरत होता है.



Amazon API Gateway – ये allow करता है एक developer को connect होने के लिए non-AWS applications को AWS back-end resources के साथ.



VoIP trunk gateway – ये मदद करती है plain old telephone service (POTS) equipment के इस्तमाल करने में, जैसे की landline phones और fax machines, वो भी एक voice over IP (VoIP) network के साथ.



Email security gateway – ये रक्षा करती है emails की transmission को जो की company policy को तोड़ते हैं और information को गलत इरादों के लिए transfer करना चाहते हैं.



Brouter





इन्हें ब्रिज करने वाला राऊटर भी कहा जाता है। ये एक ऐसा डिवाइस है जो ब्रिज और राऊटर- दोनों के ही फीचर को मिला कर काम करता है।

ये डाटा लिंक लेयर या फिर नेटवर्क लेयर पर ऑपरेट कर सकता है। ये एक राऊटर की तरह कार्य करते हुए डाटा पैकेट्स को एक से ज्यादा नेटवर्क में रूट कर सकता है।

वहीं दूसरी तरफ ये ब्रिज का काम करते हुए ये लोकल एरिया नेटवर्क ट्रैफिक को फिल्टर भी कर सकता है।



धन्यवाद दोस्त मैं आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आया होगा मैने पूरी कोसिस की है जितना सरल और सासानी से समझा सकू फिर अगर भी आपको समझने में कठिनाई हुई तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें मैं आपकी Query को हल करने की कोशिश करूंगा।
thank you.
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Dr. Abdual Kalam