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New Education Policy

New Education Policy(NCP)

New Education Policy(NEP)





जिस तरह से एक जगह रुका हुआ पानी बदबू मारने लगता है उसी तरह से एक पुरानी पद्धति (जिसे रट्टू तोते वाली शिक्षा व्यवस्था भी कहा जा सकता है) से पढाई करने पर बच्चों को शिक्षा से लाभ मिलना बंद हो जाता है.

यही कारण है कि भारत में समय समय पर शिक्षा नीति को बदला जाता रहा है.भारत में सबसे पहली शिक्षा नीति पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने 1968 में शुरू की थी. इसके बाद अगली नीति राजीव गाँधी की सरकार ने 1986 में दूसरी शिक्षा नीति बनायीं जिसमें नरसिम्हा राव सरकार ने 1992 में कुछ बदलाव किये थे.

इस प्रकार वर्तमान में भारत में 34 साल पुरानी शिक्षा नीति चल रही थी जो कि बदलते परिद्रश्य के साथ प्रभावहीन हो रही थी. यही कारण है कि वर्ष 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नयी शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार कर जनता से सलाह मांगी थी.

29 जुलाई 2020 को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को मंजूरी देने की घोषणा की और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुत सारे बदलाव हुए हैं।

अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा.

इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह नीति शिक्षा के हर क्षेत्र में आधारभूत बदलाव की संभावनाएं लेकर आई है। सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली कहते हैं, 'नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बहुत सारे बदलाव लाई है और इन्हें लागू करने के लिए टीचर्स के माइंडसेट और स्किलसेट दोनों पर ही काम करना होगा।'

'12 साल की जगह अब 15 साल की स्कूली व्यवस्था पर फोकस होगा। प्री स्कूल पर ध्यान दिया गया है। देशभर में एक पैटर्न पर करिकुलम रहेगा। प्रशासनिक तौर पर इतने बड़े स्तर पर यह कैसे संभव होगा, यह आगामी सालों में ही पता चलेगा। बच्चों के विकास के लिए यह एक्टिविटी पर आधारित लर्निंग, एक्सपेरिमेंटल और इनोवेटिव लर्निंग लेकर आई है। इससे बच्चों को बहुत मदद मिलेगी, लेकिन इसे लागू करने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक चाहिए।'

when NEP will apply?



29 जुलाई को एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल ने नई शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट पेश किया है, नई शिक्षा नीति 2020 कब लागू होगी इसके संबंध में कोई तिथि निर्धारित नहीं की है।

ड्राफ्टिंग विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस सुब्रमण्यन की अध्यक्षता वाले पैनल और एचआरडी मंत्रालय द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा, जब इसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कर रही थीं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बुधवार को मंजूर की गई नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनमें शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देना, छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करना और संस्थानों की दिशा में एक बड़ा कदम शामिल है।

इस नीति का लक्ष्य "भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति" बनाना है। 2040 तक, सभी उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) का उद्देश्य बहु-विषयक संस्थान बनना होगा, जिनमें से प्रत्येक का लक्ष्य 3,000 या अधिक छात्र होंगे।





Reforms In School Education



10 + 2 बोर्ड संरचना को हटाकर अब नई संरचना 5 + 3 + 3 + 4 होगी।

नए दिशानिर्देशों के अनुसार, 5 वीं तक यह प्री स्कूल होगा, 6 से 8 वीं मिडल स्कूल और 8 से 11 वीं हाई स्कूल होगा, जबकि 12 वीं से आगे ग्रेजुएशन होगा।

6 वीं कक्षा के बाद छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का चयन कर सकते हैं और 8 वीं से 11 वीं के छात्र अपनी पसंद के विषय चुन सकते हैं।

सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में मेजर और माइनर विषयों का प्रावधान होगा।

रट्टा लगाने के बजाय छात्र के विषय के मूल ज्ञान के टेस्ट को लक्ष्य बनाया गया है।

यह निर्णय लिया गया है कि 5 वीं कक्षा तक शिक्षण की भाषा मातृभाषा होगी। त्रिभाषा फार्मूला लागू होगा और उच्च शिक्षा तक संस्कृत को विकल्प के रूप में दिया जाएगा।

राज्य अपनी पसंद की भाषा चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे और उन पर कुछ भी दबाव नहीं होगा।

किसी छात्र के रिपोर्ट कार्ड में छात्रों के अकादमिक मार्क्स के स्थान पर छात्र की कौशल और क्षमताओं का व्यापक रिपोर्ट होगा।

राष्ट्रीय मिशन का उद्देश्य बुनियादी साक्षरता और न्युमेरेसी पर ध्यान केंद्रित करना है।

पाठ्यक्रम के शैक्षणिक संरचना में बड़े बदलाव के बजाय संकाय में बड़े बदलाव नहीं किए गए हैं।

व्यावसायिक तथा शैक्षणिक और पाठ्यक्रम सम्बन्धी तथा पाठ्येतर के बीच के सभी तरह की बाधाओं को भी दूर किया जाएगा।





Some Important Point Of NEP



1. नयी शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च किया जायेगा जो कि अभी 4.43% है.

2. अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी.

3. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. अतः रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे.

4. लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा. अर्थात उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा. उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी.

5.छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. इसके लिए इच्छुक छात्रों को 6वीं कक्षा के बाद से ही इंटर्नशिप करायी जाएगी.

6. म्यूज़िक और आर्ट्स को पाठयक्रम में शामिल कर बढ़ावा दिया जायेगा.

7. ई-पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है जिसके लिए वर्चुअल लैब विकसित की जा रहीं हैं.

8. वर्ष 2030 तक उच्च शिक्षा में फ़ीसद सकल नामांकन अनुपात GER (Gross Enrolment Ratio) 50% पहुँचाने का लक्ष्य है जो कि वर्ष 2018 में 26.3% था.

9. नयी शिक्षा नीति 2020 का सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट है मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू होना. अभी यदि कोई छात्र तीन साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारण से आगे की पढाई नहीं कर पाता है तो उसको कुछ भी हासिल नहीं होता है. लेकिन अब मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद पढाई छोड़ने पर सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद पढाई छोड़ने के बाद डिग्री मिल जाएगी. इससे देश में ड्राप आउट रेश्यो कम होगा.

10. अगर कोई छात्र किसी कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में एडमिशन लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकता है और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकता है और इसे पूरा करने के बाद फिर से पहले वाले कोर्स को जारी रख सकता है.

11. अभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, डीम्ड यूनविर्सिटी, और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं. नई एजुकेशन पॉलिसी 2020 में सभी के लिए स

12. देश में शोध और अनुसन्धान को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर एक शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (NRF) की स्थापना की जाएगी. NRF की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को बढ़ावा देना है. यह स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा और बड़े प्रोजेक्टों की फाइनेंसिंग करेगा.

13. 2025 तक नेशनल मिशन के माध्यम से फाउंडेशनल लर्निंग और न्यूमेरसी कौशल प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

14. NEP के अनुसार, 2030 तक प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक 100% GEW होगी।.

2023 तक, शिक्षकों को मूल्यांकन सुधारों के लिए तैयार किया जाएगा।.

15. समावेशी और समान शिक्षा प्रणाली के प्रावधान के लिए 2023 तक का लक्ष्य रखा गया है।

16. बोर्ड परीक्षा में रट्टा लगाने के बजाय बच्चे के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, इसलिए मुख्य अवधारणाओं और ज्ञान के अनुप्रयोग का टेस्ट होगा।

17. यह लक्ष्य रखा गया हैं कि हर बच्चे को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के साथ एक कौशल प्राप्त हो।

18. सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में सीखने के एक मानक होंगे और शुल्क भी एक समान बनाया जाएगा।

19. नीचे राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित कुछ बिंदु दिए गए हैं जिन्हें आपको याद रखना चाहिए: ECE, शिक्षकों और वयस्कों के लिए नया National Curriculum framework होगा।

20. बोर्ड परीक्षा नॉलेज एप्लीकेशन पर आधारित होगी।

21. लर्निंग की प्रगति को ट्रैक करने के लिए छात्र की प्रगति को समय-समय पर ट्रैक किया जाएगा।

22. PARAKH नाम का एक राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र स्थापित होगा।

23. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, HEI में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा।.

24. शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक(NPST) होंगा।

25. 21 वीं शताब्दी के कौशल, गणितीय सोच और वैज्ञानिक स्वभाव को एकीकृत करने के लिए पाठ्यक्रम को इसके अनुरूप बनाया जाएगा।

26. मेधावी बच्चों को वर्तमान स्कूल शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ा जाएगा।

27. पाठ्यक्रम को केवल मूल अवधारणाओं तक सीमित किया जाएगा।



Challenges and Planning



नई शिक्षा नीति का विजन प्राइमरी लेवल पर काफी फोकस करता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU - Delhi University) के एजुकेशन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पंकज अरोड़ा कहते हैं, 'नीति ने प्राइमरी यानी बच्चों की फाउंडेशन लर्निंग पर ध्यान दिया है। यह फायदेमंद तभी साबित होगी जब इसे ग्राउंड लेवल पर लागू किया जाए। आंगनवाड़ियों की स्थिति खराब है और अगर यह सुधरती नहीं तो फायदा नहीं।'

डॉ पकंज कहते हैं, 'टीचर्स की ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। प्री-सर्विस टीचर एजुकेशन में तो यह नेशनल करिकुलम फॉर टीचर एजुकेशन 2021 के साथ आ जाएगा। लेकिन 80 से 90 फीसदी टीचर्स अभी क्लासरूम में पढ़ा रहे हैं और हालात खराब है। पॉलिसी तैयार करने वाले एक्सपर्ट्स के वीडियो लेक्चर, मूक्स हर डिस्ट्रिक्ट-ब्लॉक तक क्षेत्रीय भाषाओं में पहुंचाए जा सकते हैं। जिन्हें लोकल एक्सपर्ट टीचर्स को समझाए। क्वालिटी ओरिएंटेशन, वर्कशॉप, ट्रेनिंग प्रोग्राम कराने होंगे।'

शिक्षाविदों का मानना है कि नई शिक्षा नीति 'क्लोज्ड एंडेड करिकुलम' से 'ओपन एंडेड करिकुलम' की ओर ले जा रही है। अशोक गांगुली कहते हैं, इसने मिडल और सेकंडरी लेवल पर सामयिक विषयों जैसे एआई (Artificial Intelligence), एनवायर्नमेंटल एजुकेशन, ऑर्गेनिक लिविंग पर फोकस किया है। यह 21वीं शताब्दी की स्किल्स पर भी जोर दे रही है। रटने वाली लर्निंग को खत्म किया जाएगा।

'इसके अलावा, बोर्ड एग्जामिनेशन का डिजाइन बदलने की बात हो रही है। सिलेबस कम किया जाएगा। काम न आने वाली कुछ चीजों को हटाकर इंटरैक्टिव क्लास, एक्सपेरिमेंटल लर्निंग और वर्तमान में जो टॉपिक हैं - नैनोटेक्नॉलजी, साइबर सिक्योरिटी, जिनॉमिक्स जैसी नवीनतम जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा क्वेश्चन पेपर अलग ढंग से सेट होंगे। एक अच्छी मार्किंग स्कीम अएगी। इवैल्यूशन का तरीका बदलेगा। लोकल लैंग्वेज में पढ़ाने के लिए हमें ट्रेंड टीचर्स की जरूरत होगी।'

वह कहते हैं, 'इन सबसे साथ बड़ी चुनौतियां सामने हैं, क्योंकि हमारे ज्यादातर टीचर्स या तो सेमी स्किल्ड हैं या अनस्किल्ड। 2022 तक क्लासरूम में स्किल पर आधारित लर्निंग लागू करने की बात की गई है। लेकिन इसके लिए पहले देशभर में मैसिव टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम लाना होगा, ताकि उनके माइंडसेट और स्किलसेट को ट्यून किया जा सके। अभी जो माइंडसेट है वो यही है कि हमने जैसे पढ़ा है, वैसे ही हम पढ़ाएंगे। इसे हटाना होगा।'

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Quote

"Educationists should build the capacities of the spirit of inquiry, creativity, entrepreneurial and moral leadership among students and become their role model."

Dr. Abdual Kalam